92.The Night

  1. रात्रि की शपथ, जब छा जाये
  2. तथा दिन की शपथ, जब उजाला हो जाये
  3. और उसकी शपथ जिसने नर और मदा पैदा किये
  4. वास्तव में, तुम्हारे प्रयास अलग-अलग हैं।
  5. फिर जिसने दान दिया और भक्ति का मार्ग अपनाया
  6. और भली बात की पूष्टि करता रहा
  7. तो हम उसके लिए सरलता पैदा कर देंगे।
  8. परन्तु, जिसने कंजूसी की और ध्यान नहीं दिया
  9. और भली बात को झुठला दिया।
  10. तो हम उसके लिए कठिनाई को प्राप्त करना सरल कर देंगे।
  11. और जब वह गढ़े में गिरेगा, तो उसका धन उसके काम नहीं आयेगा।
  12. हमारा कर्तव्य इतना ही है कि हम सीधा मार्ग दिखा दें।
  13. जबकि आलोक-परलोक हमारे ही हाथ में है।
  14. मैंने तुम्हें भड़कती आग से सावधान कर दिया है।
  15. जिसमें केवल बड़ा हत्भागा ही जायेगा।
  16. जिसने झुठला दिया तथा (सत्य से) मुँह फेर लिया।
  17. परन्तु, संयमी (सदाचारी) उससे बचा लिया जायेगा।
  18. जो अपना धन, दान करता है, ताकि पवित्र हो जाये।
  19. उसपर किसी का कोई उपकार नहीं, जिसे उतारा जा रहा है।
  20. वह तो केवल अपने परम पालनहार की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए है।
  21. निःसंदेह, वह प्रसन्न हो जायेगा।