87.The Most High

  1. अपने सर्वोच्च प्रभु के नाम की पवित्रता का स्मरण करो।
  2. जिसने पैदा किया और ठीक-ठीक बनाया।
  3. और जिसने अनुमान लगाकर निर्धारित किया, फिर सीधी राह दिखायी।
  4. और जिसने चारा उपजाया।
  5. फिर उसे (सुखा कर) कूड़ा बना दिया।
  6. (हे नबी!) हम तुम्हें ऐसा पढ़ायेंगे कि भूलोगे नहीं।
  7. परन्तु, जिसे अल्लाह चाहे। निश्चय ही वह सभी खुली तथा छिपी बातों को जानता है।
  8. और हम तुम्हें सरल मार्ग का साहस देंगे।
  9. तो आप धर्म की शिक्षा देते रहें। अगर शिक्षा लाभदायक हो।
  10. डरने वाला ही शिक्षा ग्रहण करेगा।
  11. और दुर्भाग्य उससे दूर रहेगा।
  12. जो भीषण अग्नि में जायेगा।
  13. फिर उसमें न मरेगा, न जीवित रहेगा।
  14. वह सफल हो गया, जिसने अपना शुध्दिकरण किया।
  15. तथा अपने पालनहार के नाम का स्मरण किया और नमाज़ पढ़ी।
  16. बल्कि तुम लोग तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो।
  17. जबकि आख़िरत का जीवन ही उत्त्म और स्थायी है।
  18. यही बात, प्रथम ग्रन्थों में है।
  19. (अर्थात) इब्राहीम तथा मूसा के ग्रन्थों में।