82.The Cleaving

  1. जब आकाश फट जायेगा।
  2. तथा जब तारे झड़ जायेंगे।
  3. और जब सागर उबल पड़ेंगे।
  4. और जब समाधियाँ (क़बरें) खोल दी जायेंगी।
  5. तब प्रत्येक प्राणी को ज्ञान हो जायेगा, जो उसने किया है और नहीं किया है।
  6. हे इन्सान! तुझे किस वस्तु ने तेरे उदार पालनहार से बहका दिया
  7. जिसने तेरी रचना की, फिर तुझे संतुलित बनाया।
  8. जिस रूप में चाहा बना दिया।
  9. वास्तव में तुम प्रतिफल (प्रलय) के दिन को नहीं मानते।
  10. जबकि तुमपर निरीक्षक (पासबान) हैं।
  11. जो माननीय लेखक हैं।
  12. वे जो कुछ तुम करते हो, जानते हैं।
  13. निःसंदेह, सदाचारी सुखों में होंगे।
  14. और दुराचारी नरक में।
  15. प्रतिकार (बदले) के दिन उसमें झोंक दिये जायेंगे।
  16. और वे उससे बच रहने वाले नहीं।
  17. और तुम क्या जानो कि बदले का दिन क्या है
  18. फिर तुम क्या जानो कि बदले का दिन क्या है
  19. जिस दिन किसी का किसी के लिए कोई अधिकार नहीं होगा और उस दिन सब अधिकार अल्लाह का होगा।