80.He frowned

  1. (नबी ने) त्योरी चढ़ाई तथा मुँह फेर लिया।
  2. इस कारण कि उसके पास एक अँधा आया।
  3. और तुम क्या जानो शायद वह पवित्रता प्राप्त करे।
  4. या नसीह़त ग्रहण करे, जो उसे लाभ देती।
  5. परन्तु, जो विमुख (निश्चिन्त) है।
  6. तुम उनकी ओर ध्यान दे रहे हो।
  7. जबकि तुमपर कोई दोष नहीं, यदि वह पवित्रता ग्रहण न करे।
  8. तथा जो तुम्हारे पास दौड़ता आया।
  9. और वह डर भी रहा है।
  10. तुम उसकी ओर ध्यान नहीं देते।
  11. कदापि ये न करो, ये (अर्थात क़ुर्आन) एक स्मृति (याद दहानी) है।
  12. अतः, जो चाहे स्मरण (याद) करे।
  13. माननीय शास्त्रों में है।
  14. जो ऊँचे तथा पवित्र हैं।
  15. ऐसे लेखकों (फ़रिश्तों) के हाथों में है।
  16. जो सम्मानित और आदरणीय हैं।
  17. इन्सान मारा जाये, वह कितना कृतघ्न (नाशुक्रा) है।
  18. उसे किस वस्तु से (अल्लाह) ने पैदा किया
  19. उसे वीर्य से पैदा किया, फिर उसका भाग्य बनाया।
  20. फिर उसके लिए मार्ग सरल किया।
  21. फिर मौत दी, फिर समाधि में डाल दिया।
  22. फिर जब चाहेगा, उसे जीवित कर लेगा।
  23. वस्तुतः, उसने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया।
  24. इन्सान अपने भोजन की ओर ध्यान दे।
  25. हमने मूसलाधार वर्षा की।
  26. फिर धरती को चीरा फाड़ा।
  27. फिर उससे अन्न उगाया।
  28. तथा अंगूर और तरकारियाँ।
  29. तथा ज़ैतून एवं खजूर।
  30. तथा घने बाग़।
  31. एवं फल तथा वनस्पतियाँ।
  32. तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लिए।
  33. तो जब कान फाड़ देने वाली (प्रलय) आ जायेगी।
  34. उस दिन इन्सान अपने भाई से भागेगा।
  35. तथा अपने माता और पिता से।
  36. एवं अपनी पत्नी तथा अपने पुत्रों से।
  37. प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन अपनी पड़ी होगी।
  38. उस दिन बहुत से चेहरे उज्ज्वल होंगे।
  39. हंसते एवं प्रसन्न होंगे।
  40. तथा बहुत-से चेहरों पर धूल पड़ी होगी।
  41. उनपर कालिमा छाई होगी।
  42. वही काफ़िर और कुकर्मी लोग हैं।